Sunday, April 28, 2024

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किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर रहने के लिए किया पक्का निर्माण , कहा - किसी में हिम्मत हो तो रोक कर दिखाएं

अंग्वाल न्यूज डेस्क
किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर रहने के लिए किया पक्का निर्माण , कहा - किसी में हिम्मत हो तो रोक कर दिखाएं

नई दिल्ली । कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों को आंदोलन करते 100 दिन से ज्यादा का समय हो गया है । इस दौरान हजारों की संख्या में किसान टैंट लगातार तो अपने अपने पोर्टा कैबिन बनाकर रह रहे हैं । पंजाब-हरियाणा और यूपी से आए किसान सिंघु, टीकरी, शाहजहांपर और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा जमाए बैठे हैं । इस क्रम में खबर है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने सोनीपत में जीटी रोड पर पक्का निर्माण करने के बाद अब टीकरी बॉर्डर पर भी पक्का निर्माण कर लिया है । यहां पर किसान सोशल आर्मी (Kisan Social Army) स्थायी निर्माण बना लिया है और कई जगहों पर जारी है। हालांकि स्थानीय पुलिस प्रशासन का कहना है कि अब मामले के संज्ञान में आने पर काम बंद करवा दिया गया है , जल्द ही इस अवैध निर्माण को हटाया जाएगा । 

विदित हो कि टिकरी बॉर्डर पर किसानों के सड़कों पर इस अवैध निर्माण को लेकर किसान सोशल आर्मी से जुड़े अनिल मलिक (Anil Malik, Kisan Social Army) का कहना है कि यहां पर निर्मित घर पक्के तौर पर मजबूती के साथ बनाए गए हैं, जैसे कि प्रदर्शनकारी  किसानों के हौसले हैं। उनका कहना है कि टीकरी बॉर्डर पर अब तक 25 पक्के घर बना दिए गए हैं। 1000-2000 तक और घर इसी तरह बनाए जाएंगे। वहीं खबर है कि जीटी रोड की पानीपत-दिल्ली लेन पर मुख्य मंच से थोड़ा आगे ईंट-सीमेंट से कमरे बनाए जा रहे हैं। अभी नींव पर काम चल रहा है।


वहीं सोनीपत स्थित जीटी रोड पर भी किसान नेता स्वीकार कर रहे हैं कि जत्थेदारी पक्का निर्माण करा रही है। इस दौरान किसान नेताओं का कहना है कि यदि किसी में हिम्मत है तो इसे रोककर दिखाए। उनका कहना है कि जितना हमारा नुकसान हो रहा है उसकी भरवाई के लिए हम यहां कब्जा करके बैठ जाएंगे और प्लॉट भी काटेंगे। 

सामने आ रही खबरों के अनुसार , अब भले ही बॉर्डर पर किसानों की संख्या में कमी आई हो , लेकिन आंदोलनकारियों के लिए रैन बसेरे की तर्ज पर कमरे बनाए जा रहे हैं। चारों ओर से मोटी दीवार और ऊपर पराली की छत बनाने की तैयारी है। वहीं, जीटी रोड पर चल रहे पक्का निर्माण को रुकवाने पहुंचे पुलिस अधिकारियों की भी उन्होंने नहीं मानी। पुलिस अधिकारियों के सामने कुछ देर के लिए निर्माण अवश्य रुका, लेकिन उनके जाने के बाद फिर शुरू हो गया। 

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